कसाब, कम से कम प्लेटफॉर्म टिकट तो ले लेते!

ये वो देश है जहां आप किसी का कत्ल कर दें, तो भी ये सुनिश्चित नहीं कि आपको सजा मिलेगी ही... और अगर आप किसी सम्माननीय की औलाद हैं तो तय मानिए कि शायद ही आप जेल जाएं और शायद ही आपको कोई छूने की हिम्मत ही करे...यही वो देश है जहां कानून आपके पैरों की जूती से ज्यादा अहमियत नहीं रखता...यही वो देश है जहां सबसे ज्यादा कानून के रखवाले ही कानून तोड़ने वालों में शामिल हैं...

और यही वो देश है जहां 50 से ज्यादा लोगों के कातिल कसाब पर रेलवे ने बगैर प्लेटफॉर्म टिकट लिए स्टेशन में घुसने का अपराध दर्ज किया है... कसाब के खिलाफ 26 फरवरी को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है... उसके खिलाफ तकरीबन 12 केस लगाए गए हैं... और इन्हीं में कसाब और उसके साथी का एक अपराध है छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर बगैर प्लेटफॉर्म टिकट के घुसने का... कसाब और 10 आतंकियों के लीडर उसके साथी अबू इस्माइल ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया था...बधवार पार्क एरिया में आतंकियों की पांचों टीमों के अपनी मुहिम पर निकलने के बाद कसाब और इस्माइल टैक्सी से सीएसटी स्टेशन पहुंचे और स्टेशन के एक किनारे से प्लेटफॉर्म पर घुसे... इसके बाद वो मुख्य वेटिंग हॉल में घुसे... दोनों ने हैंड ग्रेनेड उछाले और अपनी एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी...इसके बाद दोनों एक तरफ जाकर छिप गए... आखिर कसाब को गिरगाम चौपाटी पर पकड़ लिया गया और इस्माइल पुलिस की गोली का शिकार हुआ... रेलवे का कहना है कि दोनों ने सीएसटी स्टेशन पर बगैर प्लेटफॉर्म के घुसकर रेलवे के नियमों का उल्लंघन किया है... दोनों के पास प्लेटफॉर्म टिकट नहीं थे...  

जिस शख्स पर इतने बड़े आतंकी हमले को लॉन्च करने, उसे अंजाम देने... पूरी बेदर्दी के साथ 50 से ज्यादा लोगों को कत्ल करने का आरोप है... क्लोज सर्किट टीवी की तस्वीरें इसकी गवाह हैं... तो इस अपराध का क्या मतलब है...अगर कोई अपराध कायम होता है... तो वो इसलिए होता है कि नियम तोड़े गए हैं...लेकिन कानून का कोई भी जानकार शायद इससे इनकार करे कि जिस शख्स पर हत्या का अपराध दर्ज है... तो उनमें इस अपराध का क्या औचित्य रह जाता है...  

क्या आप इससे ये अर्थ निकालने को मजबूर नहीं होते कि कसाब को अगर रेलवे स्टेशन पर घुसना ही था तो कम से कम प्लेटफॉर्म टिकट तो ले लेता...यानी प्लेटफॉर्म पर वो चाहे जिसका खून करे लेकिन पहले प्लेटफॉर्म टिकट लेना जरूरी है...क्या ये कानून का मजाक नहीं है... लेकिन कानून को पेचीदा और झोल से भरपूर करने के लिए जिम्मेदार लोगों को इससे कोई मतलब नहीं रह गया है कि वो क्या कर रहे हैं... और दुनियाभर में बारीकी से हो रही इस इंटरनेशनल केस की स्क्रूटनी में वो किस हद तक हंसी के पात्र बनेंगे...

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
bhai railway kaa kahnaa hogaa ki "kasaab and saathi" ko platform ticket kharidane ke baad firing karne ke liye platform me enter karnaa chahiye thaa.!!!!!!!!!!!!

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