ब्लॉगर, आपका वकील कहां है!

अगर आपके ब्लॉग पर किसी पोस्ट की वजह से आपके खिलाफ कोई केस हो जाए तो... आपको किसी व्यक्ति, समुदाय, धर्म की मानहानि के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया जाए... अब ऐसा हो सकता है... ये खतरा अमेरिका, चीन, बर्मा के बाद मध्य एशिया के देशों में फैला और अब भारत में आसन्न खड़ा दिखाई दे रहा है...
यानी अब तक ब्लॉगिंग के सामान्य उसूल भी आपके खिलाफ खड़े हो सकते हैं... क्योंकि उन पर कानून की नजर है...
19 साल के एक ब्लॉगर अजीत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कथन इसका सबूत है... जिसने शिवसेना के खिलाफ अपने ऑर्कुट प्रोफाइल पर एक कम्यूनिटी खड़ी की... मकसद था महाराष्ट्र कोर्ट की तरफ से एक क्रिमिनल केस में अपने खिलाफ जारी सम्मनों से बचाव... लेकिन उसका तरीका चल नहीं पाया... इस पोस्ट पर शिवसेना के खिलाफ आई प्रतिक्रियाओं से शिवसैनिक इतने तिलमिलाए कि उन्होंने ब्लॉगर अजीत के खिलाफ थाणे पुलिस स्टेशन में एक और केस ठोक दिया...
अजीत को केरल हाईकोर्ट से एंटिसिपेटरी जमानत मिली तो वो सुप्रीम कोर्ट चला गया जहां उसका तर्क था कि कम्यूनिटी में दर्ज हुए सारे कमेंट्स उस कम्यूनिटी तक ही महदूद हैं... उनका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था... और ये अभिव्यक्ति की आजादी की तरह समझे जाने चाहिए... एक कंप्यूटर साइंस छात्र अजीत की बात को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना... सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि वो अच्छी तरह जानता है कि कितने लोग इंटरनेट पोर्टल देखते हैं... और अगर कोई इस कंटेंट को पढ़ने के आधार पर कोई केस दर्ज कराता है तो उसे इसका सामना करना पड़ेगा... और ये भी साफ करना होगा कि इस कंटेंट को अपने वैबपेज पर रखने के पीछे उसका तर्क क्या है...
इस मामले को बतौर ब्लॉगर आप कैसे देखते हैं... ये काफी अहमियत रखता है... सुप्रीम कोर्ट के रुख से दो-तीन बातें एकदम साफ हो गई हैं... 
एक, अगर आपके ब्लॉग पर जो भी कंटेंट मौजूद है तो उसके लिए सिर्फ और सिर्फ आप ही जिम्मेदार माने जाएंगे... 
दूसरे, अगर आपके वैबपेज, कम्यूनिटी वैबसाइट और ब्लॉग पर किसी ने अपने विचार रखे हैं और आप सिर्फ होस्ट की भूमिका निभा रहे हैं तो काम नहीं चलेगा... जिन्होंने विचार व्यक्त किए हैं, वो उतने नहीं बल्कि आप इसके आपराधिक पक्ष की ज़द में आएंगे...
तीसरी बात, आप अभिव्यक्ति की आजादी का सहारा लेकर अपनी वैबसाइट को क्लीनचिट नहीं दिला सकते... आपको इसके तहत मौजूद कानूनी नुक्तों का ख्याल रखना होगा... 
चौथी बात, किसी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी और गलतबयानी, बदनामी और मानहानि के लिए जो कानून प्रिंट और टीवी पर लागू होता है, ब्लॉगर भी उसकी सीमा में आते हैं...
पांचवीं बात, अगर आप ब्लॉग या कम्यूनिटी वैबसाइट या वैबपेज शुरू कर रहे हैं तो एक वकील को भी साथ रखें, वरना आप कब जेल में होंगे कहना मुश्किल है...

इस घटना से कम से कम ये तो साबित हो गया है कि ब्लॉग अखबार और टीवी से कमजोर नहीं है... वो उतना ही बड़ा मीडियम है जितने दूसरे... और कानून का जो कंसर्न दिखाई दे रहा है, उसमें अखबार और टीवी से भी ज्यादा इसकी जिम्मेदारी देखी जा रही है... 

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
यह बात काबिले-गौर है। जानकारी के लिए शुक्रिया।
Unknown ने कहा…
द्विवेदी जी हैं हमारे वकील, हमें कोई डर नहीं है… और जब डर लगेगा या कोई कोर्ट केस करेगा तो माफ़ी माँग लेंगे और ब्लॉगिंग बन्द कर देंगे… :) है ना सिम्पल उपाय… फ़िर कुछ दिनों बाद "Anonymous" भूत बनकर सबके चिठ्ठों पर गालि्याँ देते फ़िरेंगे… :)
Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…
बहुत ही उम्दा जानकारी प्रदान की आपने.....धन्यवाद
ghughutibasuti ने कहा…
बहुत उपयोगी जानकारी दी है। द्विवेदी जी से प्रार्थना करनी पड़ेगी कि हमें सही राह दिखाएँ।
वैसे किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाना ब्लॉग का दुरुपयोग करना ही है जबकि किसी विचारधारा का विरोध करना सदुपयोग कहला सकता है।
घुघूती बासूती
बहुत ही सुंदर और सामयिक लेख है....हम ब्‍लागरों को सामान्‍य नियमों को जानने की आवश्‍यकता है।
ब्लाग वाकई सशक्त माध्यम है और लिखने के पहले जो सावधानियाँ आप ने बताई हैं वे तो सभी को बरतनी चाहिए। आखिर जो बात अपराध है उस से किसी को केवल इस लिए कैसे बख्शा जा सकता कि वह किसी ब्लागर ने किया है।
इसलिए ब्लाग लिखते समय सावधान रहना चाहिए। लेकिन इस का अर्थ यह नहीं कि सचाई को और अपने विचारों को अभिव्यक्त करना बंद कर दें।
@सुरेश जी और घुघूती जी,
मैं ही नहीं ब्लागिंग में बहुत लोग हैं जो सचाई का साथ देने को तैयार हैं। मुझ पर विश्वास व्यक्त कर आप ने जो मान दिया उस के लिए आभारी हूँ।
उत्‍तरदायित्‍वविहीन लेखन तो अपने आप में एक अपराध है।
Shiv ने कहा…
विष्णु बैरागी जी ने कहा;

"उत्‍तरदायित्‍वविहीन लेखन तो अपने आप में एक अपराध है।"

घुघूती जी ने कहा;

"बहुत उपयोगी जानकारी दी है। द्विवेदी जी से प्रार्थना करनी पड़ेगी कि हमें सही राह दिखाएँ।
वैसे किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाना ब्लॉग का दुरुपयोग करना ही है जबकि किसी विचारधारा का विरोध करना सदुपयोग कहला सकता है।"

हम भी यही कह रहे हैं जी.

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