ख़ाली दिमाग़ की चेमगोइयां
या समय का है प्रवाह
हममें से होकर
या नदी स्थिर है
पर हमारा मन
खिसक रहा है
क्या नदी और समय वहीं हैं
उस क्षैतिज रेखा पर
और बह रहे हैं हम
क्षितिज की ओर
टिप्पणियाँ