30/11/22

देहलीज़

डूबती हुई ज़िंदगी के मुहाने पर

फ़ेड होती कहानियों का रजिस्टर

गलियारे के आख़िरी छोर पर

नींद के धुंध में गुम हो जाने वाली दास्तान

सड़कों, अस्पतालों, युद्ध के मैदानों और हॉस्पिस सेंटर्स में,

और उन ख़ामोश कमरों से

जहां प्रार्थनाओं के सिवा कुछ नहीं उठता

जहां कशमकश, चाहतें, तमन्नाएं, कामनाएं टहलती हैं

ढेर सारे काश के साथ, लिए बहुत सारा आकाश

स्मृति की ड्योढ़ी पर

दुख और सुख की मौजूदगी में 

देहलीज़ जो सबको लांघनी है एक बार 

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