23 साल की रखैल की डायरी-2
(यह कहानी मुझे www.yourtango.com पर मिली.. लेखिका हैं एमिली रोजेन..मेरा इसमें कुछ नहीं..सिर्फ अनुवाद.. दूसरा और अंतिम भाग)
'ईट, प्रे, लव' नाम की किताब में जीवनसाथी का जिक्र कुछ यूं किया गया है - 'ऐसा शख्स जो आपको उस चीज के बारे में बताता है जो आपको पीछे खींचती है..जो आपको खुद पर ध्यान देना सिखाता है ताकि आप अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकें.. जो आपकी दीवारों को गिरा देता है और चौंकाकर आपको जगा देता है..और जो आपकी जिंदगी में इसलिए आता है ताकि वो आपको अपनी जिंदगी के दूसरे पक्ष से रूबरू करा सकें'
'ईट, प्रे, लव' नाम की किताब में जीवनसाथी का जिक्र कुछ यूं किया गया है - 'ऐसा शख्स जो आपको उस चीज के बारे में बताता है जो आपको पीछे खींचती है..जो आपको खुद पर ध्यान देना सिखाता है ताकि आप अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकें.. जो आपकी दीवारों को गिरा देता है और चौंकाकर आपको जगा देता है..और जो आपकी जिंदगी में इसलिए आता है ताकि वो आपको अपनी जिंदगी के दूसरे पक्ष से रूबरू करा सकें'
मैं सोचा करती थी कि किसी को धोखा देना शायद सबसे बड़ा गुनाह होता है..और अपने वायदे के बाद झूठा बन जाना मानो धोखाधड़ी की इंतहा है.. मेरे ख्याल में शादी एक रोमांटिक ख्याल था जो सच्चे प्यार के चारों तरफ बुना जाता है.. न कि व्यभिचार के चारों तरफ.. मैंने यह भी देखा था कि फिल्मों में रखैलों के साथ क्या होता है.. लेकिन अब मैं इसे दूसरे ढंग से देखती हूं..
ये दरअसल खुदगर्जी से भरी प्रतिबद्धता है ताकि आप किसी असुविधाजनक स्थिति को जायज ठहरा सकें... वह जगह जहां पहुंचकर आप खुद को पूरी तरह उखड़ा हुआ पाते हैं.. जो आपको आपकी जरूरतों का सामना करने को मजबूर करती है.. और आपको आपके एक कदम और करीब ले जाती है... हमारे अफेयर ने मुझे मजबूर किया कि मैं उसके करीब होकर अपनी सारी दीवारें गिरा दूं और उसके लिए गहरी चाहत महसूस करूं.. और पहली बार किसी के साथ होकर खुद को पा सकूं..मुझे महसूस होता है कि अब मैं दूसरों के यह बताने के काबिल हो गई हूं कि मुझे क्या चाहिए..और उसे भी इससे खुशी मिलती है.. इससे पहले मैंने खुद ही अपनी जिंदगी में सब कुछ करने का फैसला किया था..लेकिन अब वह मुझे दिखा रहा है कि कैसे अपने फैसलों में दूसरों की मदद ली जा सकती है..
यकीनन मुश्किलें भी आईं हैं.. जब मैं उसकी मुहब्बत और नफरत के बीच झूलती-उतराती हूं तो कभी उसे मंजूर करती हूं और कभी खारिज करती हूं.. लेकिन ज्यादातर बार मैंने ऐसे जज्बात को पसंद ही किया है.. हम दोनों ने एक दूसरे के लिए अपने जुनून की हदें पार कर दी हैं.. और अब मैं इससे कम पर सोचने के लिए तैयार नहीं हूं..
ये संभावना कि मैं ऐसी शख्स हूं जिसे वह पसंद कर सकता है, मुझे अंदर तक हिला देती है...वह सचमुच ताज्जुब में डाल देता है..मैं अभी तक तय नहीं कर सकी हूं कि मैं सचमुच उसके साथ जिंदगी बिताने या परिवार जमाने के लिए तैयार भी हूं या नहीं.. यहां तक कि मैं ये भी नहीं जानती हम दोनों उसकी बीवी के बिना कैसे जिंदगी बिताएंगे.. इस तरह की जिंदगी जीते हुए कल हम कैसे पति-पत्नी होंगे.. लेकिन एक बात तय है कि मैं उसे किसी भी हालत में छोड़ने के ख्याल से ही डर जाती हूं...
भविष्य में क्या और कैसा होगा, ये कई बातों पर निर्भर करता है.. उसका अपनी बीवी से संबंध, दोनों कब तक इस तरह अपनी शादी को आगे ले जा सकते हैं...परिवार के लिए उसकी इच्छा बनाम उसका अपनी बीवी के साथ फिर से रहने का फैसला.. और मैं किस हद तक सहन कर सकती हूं और उससे क्या चाहती हूं और वह मुझसे क्या चाहता है..
तो क्या मैं अपराधबोध से ग्रस्त हूं? क्या मैं उसका घर तोड़ने के लिए जिम्मेदार हूं? हां, ये सही है..लेकिन अगर कुछ सालों बाद वह खुश हो सकता है और उसे एक परिवार मिल जाता है, मेरे साथ या मेरे बगैर, और मैं बाकी लोगों को अपनी भावनाओं की दीवार के पीछे धकेल पाई..तो शायद हमारी ये मुलाकात सही साबित होगी.. खासकर तब जब हम दोनों को अंत में एक दूसरे का साथ मिल जाए...
टिप्पणियाँ
दिल को बहलाने, गालिब ख्याल अच्छा है.
-शायद उसके मन को शांति मिली होगी यह सब लिपिबद्ध करके डायरी में.