एक भाषा की मौत!


जिस दिन हिंदुस्तान गणतंत्र की 60वीं सालगिरह मना रहा था, उसी दिन दुनिया की एक बेहद दुर्लभ भाषा दम तोड़ रही थी, हिंदुस्तान में - बो। बो भाषा की आखिरी जानकार की मौत हो गई। 85 साल की बोआ सीनियर अंडमान द्वीप समूह में रहती थी और उसी के साथ वह भाषा भी खत्म हो गई, जिसे दुनिया की ऐसी ढाई हजार भाषाओं में से एक गिना जा रहा था, जो खत्म होने के कगार पर हैं।

इंसानी तरक्की और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए बोआ सीनियर की मौत काफी दुखद है। अब इस भाषा का आखिरी सबूत अगर बचा है तो वह बीबीसी और सीएनएन के पास है- एक ऑडियो फाइल के रूप में, जिसमें इस भाषा के कुछ शब्दों का मतलब और संवाद अदायगी के स्टाइल का पता चलता है।

बोआ सीनियर अंडमानीज जनजातियों में काफी बूढ़ी महिला थी, जिनके जिंदा होने से यह भाषा भी जिंदा थी। करीब 30 से 40 साल पहले बोआ के माता-पिता की मौत हो गई थी, और उनके बाद वह दुनियाभर में अकेली थीं जो इस भाषा को जानती थीं। बोआ सीनियर अकेली रहा करती थीं और चूंकि उनकी भाषा कोई नहीं समझता था, इसलिए उन्होंने अपने आसपास लोगों से बात करने के लिए अंडमानीज हिंदी की एक बोली सीख ली थी। बोआ सीनियर ने दिसंबर 2004 की सुनामी भी झेली थी। लोग उन्हें एक हंसमुख और बेहद खुशमिजाज महिला के बतौर जानते थे, लेकिन अब न बोआ सीनियर हैं और न वो जुबान जिसे वह अपने साथ ले गईं।

भाषा वैज्ञानिकों की राय में अंडमान की ज्यादातर बोलियों और भाषाओं का ताल्लुक अफ्रीका से है। और बो भाषा भी अफ्रीका से संबंधित है। सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक बो जनजाति अंडमान में पिछले 65 हजार साल से रह रही थी। बोआ सीनियर के बाद अब इस जनजाति का कोई सदस्य नहीं बचा है। अगर देखें तो बोआ सीनियर की मौत ने 60 हजार साल पुरानी एक संस्कृति की कड़ी तोड़ दी है। ओरांव समुदाय की मधु बागानियार ने बो भाषा की मौत को हिंदुस्तान की दूसरी आदिवासी भाषाओं के लिए खतरे की घंटी बताया है। बोआ सीनियर और उनकी ज़बान बो की मौत से लगता है कि इंसान की सामूहिक स्मृति के एक अंश का लोप हो गया है।

बो भाषा की मौत ने कुछ भविष्यवाणियों को एक बार फिर ताजा किया है। 1992 में एक अमेरिकी भाषाशास्त्री ने कहा था कि 2100 तक दुनियाभर की 90 फीसदी भाषाएं समाप्त हो जाएंगी और साढ़े 6 हजार भाषाओं में से तकरीबन 3000 केवल 100 सालों में मर जाएंगी।

समाजशास्त्रियों को लगता है कि अगर संस्कृति के हिस्सों को जिंदा रहना है तो भाषाओं को जिंदा रखना होगा। अगर 19वीं सदी के आखिर में तकरीबन मर चुकी हिब्रू भाषा को आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए इजरायल के यहूदियों ने पूरी ताकत झोंक दी, अगर इंग्लैंड में वैल्श और न्यूजीलैंड में माओरी का पुनर्जागरण हो सकता है तो मरने के कगार पर जा रही दूसरी भाषाओं का क्यों नहीं। क्या हिंदुस्तान की आदिवासी जनभाषाएं ज़िंदा रहेंगी? बहुत मुश्किल नजर आती है ये बात क्योंकि अंग्रेजों की तरह हिंदुस्तान की सरकार भी आदिवासियों को 'सभ्य' बनाने में जुटी है।

एक ज़बान की मौत एक नस्ल की मौत की तरह है, ग्लोबल गांव बन रही दुनिया में क्या हमें उन्हें जिंदा रखने में उतनी ही दिलचस्पी है जितनी अपनी नस्ल को। शायद नहीं। कुछ लोग कहेंगे कि अगर एक ज़बान मर भी जाएगी तो क्या हुआ..इतिहास ही तो खत्म होगा..और फिर इंसान जब सूरज और चांद पर बस्तियां बसाएगा तो वहां हम अलग-अलग भाषाएं तो बोलेंगे नहीं। ऐसे में अगर एक भाषा खत्म भी हो गई तो क्या फर्क पड़ता है। तो क्या हम अब शॉर्ट मैसेज टैक्स्ट से आपस में बात करेंगे? हो सकता है। बहुत मुमकिन है कि बो ज़बान की मौत से हम कोई सबक न लें। क्योंकि संकेतों में बात कहने से लेकर भाषा का विकास करने के बाद एक बार फिर इंसान संकेतों में बात करना सीख रहा है। बाइनरी दुनिया में सुसंस्कृत भाषा संवाद के लिए जरूरी औज़ार नहीं है। और बो अगर मरी है तो इसलिए क्योंकि वह बाजार की भाषा नहीं थी।

टिप्पणियाँ

Shrinath Vashishtha ने कहा…
Poore naazuk evam gambhir mudde ka badi tanmayta evam sauhardra ke saath varnan kiya hai, aapne.

'Boa Sr' ka dehaant poori maanavta ke liye bahut badi kshati hai jiski bharpaayi kabhi nahi ho sakti.

Isme koi sandeh nahi ki yeh durghatna sansaar ki anya pracheen bhaashaaon ke sheeghra hi lupt hone ki bhavishyavaani karti hai.

Media ki andekhi aaj ke vyavsaayikrit samaaj ki ek jhalak maatra hai tatha is se yeh jaan padta hai ki Bharateeya sanskriti ki avastha anaathon jaisi ho gayi hai...

Aapko is vishay per likhta dekh kar prasannata hui. Abhi, aapki is post ke liye Indivine per vote kiya hai. Sampark me bane rahein! Shubhkaamnaayen!!!

A TRIBE & LANGUAGE GO EXTINCT IN ANDAMAN
Shiv ने कहा…
शानदार पोस्ट!

बहुत दिनों बाद कुछ पढ़ने को मिला जो बेहद ज़रूरी है. जिसकी बात नहीं होती मगर होनी चाहिए. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया. और मैं बहुत खुश हूँ.
Shiv ने कहा…
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बहुत दिनों बाद कुछ पढ़ने को मिला जो बेहद ज़रूरी है. जिसकी बात नहीं होती मगर होनी चाहिए. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया. और मैं बहुत खुश हूँ.

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