जिंदगी के बारे में
अपने ही आसपास किसी का उठ जाना अजीब कैफियत पैदा कर जाता है... बेशक वो आपसे सीधे जुड़ा न रहा हो... पता नहीं क्यों लगता है कि कुछ हिस्सा टूट गया है... लेकिन वो उतना ही होता है, जितना आपने उसके साथ सांझा किया होता है... और यही लगता है... मुझे लगता है कि हम लोगों में अपना निवेश करते हैं... अपने पलों का, अपने जीवन के अच्छे-बुरे लम्हों का... और किसी के उठ जाने के बाद ये बात सालती है कि अब शायद उन सांझा किए गए पलों को फिर से जीवित नहीं किया जा सकेगा... ये तो वो चीज है जिसे हम अपने बेहद आसपास महसूस करते हैं... इसे आप कोई भी नाम न दें...
एक खबर तो अपने एक करीबी रिश्तेदार की मौत की... दूसरी मिली एक अमेरिकी प्रोफेसर की जो पैंक्रिएटिक कैंसर की वजह से कार्नेगी मैलन स्कूल में अपना आखिरी लैक्चर दे रहा है... बेहद गर्मजोश और जीवन से भरा... दोनों ही बातें छू गईं... एक प्रोफेसर जो जानता है कि अब शायद ज्यादा वक्त नहीं है उसके पास और उसके दो बच्चों में से एक को उसकी कोई याद नहीं होगी... कि उसका बाप कभी इस दुनिया में रहा करता था... ५ साल के अपने एक बेटे के साथ वो अपनी यादों को मजबूत करने में जुटा है... लेकिन उसका दूसरा बेटा जो अभी इतना छोटा है कि उसकी मां ही उसे बता सकेगी कि उसके पापा कैसे लगा करते थे... अजीबोगरीब अहसास है...
एक खबर तो अपने एक करीबी रिश्तेदार की मौत की... दूसरी मिली एक अमेरिकी प्रोफेसर की जो पैंक्रिएटिक कैंसर की वजह से कार्नेगी मैलन स्कूल में अपना आखिरी लैक्चर दे रहा है... बेहद गर्मजोश और जीवन से भरा... दोनों ही बातें छू गईं... एक प्रोफेसर जो जानता है कि अब शायद ज्यादा वक्त नहीं है उसके पास और उसके दो बच्चों में से एक को उसकी कोई याद नहीं होगी... कि उसका बाप कभी इस दुनिया में रहा करता था... ५ साल के अपने एक बेटे के साथ वो अपनी यादों को मजबूत करने में जुटा है... लेकिन उसका दूसरा बेटा जो अभी इतना छोटा है कि उसकी मां ही उसे बता सकेगी कि उसके पापा कैसे लगा करते थे... अजीबोगरीब अहसास है...
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